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शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है चीनी, जानें इसे ज्यादा खाने का Mental Health पर असर

चीनी लगभग हर मीठे व्यंजन में इस्तेमाल की जाती है। मीठा खाने के शौकीन लोग अक्सर ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करते हैं जो उनकी सेहत को नुकसान पहुंचाता है। चीनी सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक सेहत (Mental Health) पर भी असर डालती है। इसके ज्यादा सेवन से मूड स्विंग्स समेत अन्य मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। आइए जानते हैं मेंटल हेल्थ पर चीनी का असर-

चीनी हमारे खानपान का एक अहम हिस्सा है। मीठे व्यंजन हो, चाय हो या कॉफी लगभग सभी में लोग मिठास पाने के लिए चीनी का इस्तेमाल करते हैं। इसका स्वाद कई लोगों की जीभ को बेहद पसंद आता है। यही वजह है कि मीठा खाने के शौकीन लोग अक्सर जरूरत से ज्यादा इसका सेवन करने लगते हैं, जिससे उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।

अधिक मात्रा में चीनी न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक सेहत (Mental Health) को भी नुकसान पहुंचाती है। इस बारे में खुद न्यूट्रिशनिस्ट से सोशल मीडिया के जरिए जानकारी दी। पोषण विशेषज्ञ करिश्मा शाह ने अपने हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट में जानकारी देते हुए बताया कि कैसे में चीनी आपके मूड और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।

अगर आप नियमित रूप से रोजाना ज्यादा मात्रा में चीनी का सेवन पर रहे हैं, तो इससे आपके मूड में बदलाव आ सकता है। अधिक मात्रा में चीनी के सेवन से मूड स्विंग्स, एंग्जायटी और डिप्रेशन हो सकता है। इसकी वजह से आप अक्सर अस्थायी राहत के लिए अधिक चीनी की तलाश करते रहते हैं।

थकान और चिड़चिड़ा

डोपामाइन के तेजी से रिलीज होने के कारण चीनी मूड और एनर्जी में थोड़ी बढ़ोतरी कर सकती है। हालांकि, कुछ समय बाद इसके ज्यादा सेवन की वजह से आप थका हुआ, चिड़चिड़ा और अधिक तनावग्रस्त महसूस करने लगते हैं।

चीनी की लत लगना

नशीले पदार्थों की ही तरह चीनी भी दिमाग के मुख्य केंद्रों को ट्रिगर करती है, जिससे क्रेविंग्स और लत लगने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं, जो आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

ब्रेन की सूजन बढ़ाए

जरूरत से ज्यादा चीनी का सेवन दिमाग में सूजन को बढ़ावा दे सकता है, जो डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते जोखिम से जुड़े होते हैं।

ब्रेन फॉग

ज्यादा मात्रा में चीनी खाने से आपका कॉग्नेटिव फंक्शन खराब हो सकता है। इससे याददाश्त, ध्यान केंद्रित करने और निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है।

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